ताज्या घडामोडीदेश विदेशलेखसामाजिक

⭕अफगानिस्तान में शान्ति व सुरक्षा के अन्तर्राष्ट्रीय प्रयासों का नेतृत्व करें प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी – प्रदीपजी पाल, लखनऊ

21 अगस्त – अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद के पीड़ितों का स्मरण और श्रद्धांजलि दिवस पर
युगानुकूल समाधानपरक विशेष लेख
—————————————
⭕अफगानिस्तान में शान्ति व सुरक्षा के अन्तर्राष्ट्रीय प्रयासों का नेतृत्व करें प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी
– प्रदीपजी पाल, लखनऊ

Akluj Vaibhav News Network.
Chief Editor Bhagywant Laxman Naykude.
Akluj , Taluka Malshiras, District Solapur. Maharashtra State, India.
Mo. 9860959764.

Lucknow लखनऊ दिनांक 20 अगस्त।
संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा आतंकवाद के पीड़ितों को स्मरण और श्रद्धांजलि के लिए 21 अगस्त को अन्तर्राष्ट्रीय दिवस घोषित किया गया था। अकेले 2017 में आतंकवाद से होने वाली सभी मौतों में से लगभग तीन-चैथाई सिर्फ पाँच देशों में थे – अफगानिस्तान, इराक, नाइजीरिया, सोमालिया और सीरिया। संयुक्त राष्ट्र के एक बयान के अनुसार, यह दिन आतंकवाद के पीड़ितों को उनकी जरूरतों का समर्थन करने और उनके अधिकारों को बरकरार रखने की अनुमति देने के लिए है। सिटी मोन्टेसरी स्कूल, लखनऊ के संस्थापक व प्रख्यात शिक्षाविद् डा. जगदीश गाँधी ने 20 अगस्त 2021 को पत्र लिखकर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी से पुरजोर अपील की है कि वे अफगानिस्तान में शान्ति व सुरक्षा के लिए अन्तर्राष्ट्रीय प्रयासों का नेतृत्व करें। डा. गाँधी ने लिखा है कि अफगानिस्तान में इस समय लोकतन्त्र बुरी तरह से चरमरा गया है और नागरिकों के अधिकार सुरक्षित नहीं है। अतः विश्व के सबसे सफल व सबसे बड़े लोकतान्त्रिक देश के प्रधानमंत्री होने के नाते श्री नरेन्द्र मोदी जी को अफगानिस्तान की पीड़ित व व्यथित मानवता को राहत पहुँचाने हेतु अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय की अगुवाई करनी चाहिए।
डा. गाँधी ने पत्र में लिखा है कि भारत वर्तमान में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का अध्यक्ष है और अफगानिस्तान के मुद्दे पर आयोजित चर्चा-परिचर्चा की अध्यक्षता कर चुका है। प्रधानमंत्री श्री मोदी के कुशल नेतृत्व व दृष्टिकोण से पूरा विश्व प्रभावित है। मुझे पूरा विश्वास है कि इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री श्री मोदी जी के नेतृत्व को हर देश से व्यापक समर्थन मिलेगा और यह सुनिश्चित हो सकेगा कि अफगानिस्तान के आम नागरिकों को राजनीतिक नेतृत्व में हिंसक परिवर्तन के कारण मानवाधिकार उल्लंघन की हिंसक यातना न सहनी पड़े।
डा. गाँधी ने अपील की है कि संयुक्त राष्ट्र की वीटो पावर प्रणाली अफगानिस्तान पर कार्रवाई के लिए एक सार्वभौमिक जनादेश के निर्माण के लिए अनुकूल नहीं है क्योंकि चीन के पास वीटो पावर है और वह वैश्विक आतंकवाद के केन्द्र पाकिस्तान के साथ मिलकर अफगानिस्तान में शान्ति व सुरक्षा की कार्यवाही पर वीटो पावर का इस्तेमाल कर सकता है। ऐसे में, प्रधानमंत्री मोदी को दुनिया के तमाम नेताओं की तत्काल बैठक बुलानी चाहिए। प्रधानमंत्री श्री मोदी जी को अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय का व्यापक समर्थन प्राप्त है और अफगानिस्तान के मुद्दे पर दुनिया के देशों से एकजुट होने के उनके आहवान को निश्चित रूप से बहुत गंभीरता से लिया जाएगा।
वर्तमान में आतंकवाद ने किसी प्रत्यक्ष युद्ध से ज्यादा भयानक रूप धारण कर लिया है। आतंकवाद शब्द का अर्थ ही है आतंक फैलाना। आतंकवाद का वैज्ञानिक तथा राजनैतिक अर्थ यह है कि अनिश्चितता तथा अव्यवस्था पैदा करना। आज आतंकवाद अन्तर्राष्ट्रीय समस्या बन गया है। आंतकवादी निम्नलिखित विधियों से राष्ट्रीय तथा प्रान्तीय सुरक्षा और जनमानस को प्रभावित कर रहे हैं:- (1) संचार व्यवस्था नष्ट करके, (2) अपहरण और बन्धक बनाकर, (3) सामूहिक नरसंहार करके तथा (4) आत्मघाती हमलों द्वारा। अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद मुख्यतः जेहाद के उद्देश्य से प्रतिफलित हुआ है। सर्वाधिक महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद ने कई अवसरों पर परमाणु युद्ध की आशंका भी उत्पन्न कर दी है। आतंकवाद जहाँ एक ओर लोकतंत्र एवं सम्प्रभुता के लिए खतरा है, वहीं दूसरी ओर शांति, सुरक्षा एवं विकास के लिए भी घातक है।
अब आतंकवाद किसी एक देश की नहीं वरन् सारे विश्व की समस्या है। फिर चाहे अमरीका और जर्मनी जैसे पश्चिमी देश हों, या फिर भारत जैसे विकासशील देश आंतकवाद से सभी जूझ रहे हैं। अगर कोई सरकार वास्तव में आतंक विरोधी नीति बनाना चाहती है, तो उसे अपने कुछ नागरिकों द्वारा अनुभव किये गये अन्यायों और शिकायतों को समझने की दिशा में संसाधन लगाना चाहिए, जिसका इस्तेमाल करके आतंकी समूह असंतुष्ट लोगों को हिंसक विचारधाराओं की ओर आकर्षित करते हैं।
आतंकवादी किसी दूसरे ग्रह से तो नहीं आते। हमारा सतर्कता तंत्र चुस्त होना चाहिए और प्रत्येक नागरिक को भी जागरूक होना होगा। हमारा संकल्प होना चाहिए कि हम आतंक को जड़ से मिटायेगे, अमन की राह मानवता को दिखायेंगे। विश्व स्तर पर कुछ लोक कल्याणकारी संगठन तथा सरकारें आतंकवाद को समाप्त करने की दिशा में उल्लेखनीय कार्य कर रही हैं। वे आतंकवादी विचारधारा से प्रभावित होने के सामाजिक पहलुओं पर गौर कर रहे हैं। ताकि जो लोग आतंकवाद तथा कट्टरपंथ के चंगुल से निकलना चाहते हैं, उनकी मदद की जा सके।
विश्व के महान विचारक विक्टर ह्नयूगो ने कहा है कि ‘‘इस दुनियाँ में जितनी भी सैन्यशक्ति है उससे कहीं अधिक शक्तिशाली वह एक विचार होता है, जिसका कि समय आ गया हो।’’ आज जिस विचार का समय आ गया है वह विचार है भारतीय संस्कृति का आदर्श ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ तथा उसकी शिक्षाओं पर आधारित भारतीय संविधान का ‘अनुच्छेद 51’ जिसके द्वारा विश्व को अन्तर्राष्ट्रीय आतंकवाद एवं परमाणु बमों की विभीषिका से बचाया जा सकता है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51 के अनुसार भारत का गणराज्यः (क) अन्तर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा की अभिवृद्धि करेगा (ख) राष्ट्रों के बीच न्यायसंगत और सम्मानपूर्ण संबंधों को बढ़ाने का प्रयत्न करेगा, (ग) संसार के सभी राष्ट्र अन्तर्राष्ट्रीय कानून का सम्मान करें ऐसा प्रयत्न करेगा तथा (घ) अन्तर्राष्ट्रीय विवादों का मध्यस्थता द्वारा समाधान हो, इसका प्रयत्न करेगा।
हमारा ‘सम्पूर्ण विश्व की एक संसद’ बनाने का सुझाव है जो कि ‘विश्व का संचालन’ सुचारू रूप से करने के लिए ़(1) बाध्यकारी कानून बना सकंे, और जिसके द्वारा (2) विश्व की सरकार एवं (3) विश्व न्यायालय का गठन किया जा सके। न्याय के तराजू के एक पलड़े में विश्व में भारी संख्या में निर्मित घातक परमाणु बमों तथा आतंकवाद का बड़ा खतरा हैं तथा दूसरे पलड़े में विश्व के दो अरब पचास करोड़ बच्चों का असुरक्षित भविष्य दांव पर लगा है। विश्व के बच्चे सुरक्षित विश्व तथा सुरक्षित भविष्य की अपील वल्र्ड जुडीशियरी से विगत 18 वर्षों से कर रहे हैं।
हेग, नीदरलैण्ड में इण्टरनेशनल कोर्ट आॅफ जस्ट्सि का मुख्यालय स्थित है। इस अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय के निर्णय किसी देश के लिए बाध्यकारी नहीं है। अतः संसार के मानव मात्र की एकता के लिए एवं विभिन्न देशों के आपसी मतभेदों का निष्पक्ष एवं सर्वमान्य समाधान करने के लिए – ‘विश्व संसद’, ‘विश्व सरकार’, बाध्यकारी कानून एवं ‘विश्व न्यायालय’ की अविलम्ब आवश्यकता है। इसके अतिरिक्त सम्पूर्ण विश्व की मानव जाति व संसार को बचाने का और कोई विकल्प नहीं है।
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का मानना था कि विश्व में वास्तविक शांति लाने के लिए बच्चे ही सबसे सशक्त माध्यम हैं। उनका कहना था कि ‘‘यदि हम इस विश्व को वास्तविक शान्ति की सीख देना चाहते हैं और यदि हम युद्ध के विरूद्ध वास्तविक युद्ध छेड़ना चाहते हैं, तो इसकी शुरूआत हमें बच्चों को शान्ति की शिक्षा देने से करनी होगी।’’
दक्षिण अफ्रीका को ब्रिटिश शासन की गुलामी से मुक्त कराने वाले नेल्सन मंडेला महान इंसान थे। मंडेला को शांति के लिए नोबल पुरस्कार, भारत रत्न जैसे कई पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया था। उन्हें ये सम्मान शांति स्थापना, रंगभेद उन्मूलन, मानवाधिकारों की रक्षा और लैंगिक समानता की स्थापना के लिये दिये गए थे। वो ऐसे इंसान थे जिनका जन्मदिन संयुक्त राष्ट्र संघ की घोषणा के अनुसार नेल्सन मंडेला इंटरनेशनल डे के रूप में उनके जीवनकाल में ही मनाया जाने लगा था। नेल्सन मंडेला ने एक ऐसे लोकतांत्रिक और स्वतंत्र समाज की कल्पना की थी जहाँ सभी लोग शांति से मिलजुल कर रहे और सभी को समान अवसर मिले। उन्होंने कहा था कि शिक्षा ही सबसे शक्तिशाली हथियार है जिससे विश्व को बदला जा सकता है।
वर्ष 2001 से प्रतिवर्ष लखनऊ में आयोजित होने वाले भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51 पर आधारित विश्व के मुख्य न्यायाधीशों के अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन के संयोजक एवं विश्व एकता की शिक्षा के प्रबल समर्थक शिक्षाविद् डा. जगदीश गांधी का मानना है कि युद्ध के विचार मानव मस्तिष्क में पैदा होते हैं। इसलिए मानव मस्तिष्क में ही शान्ति के विचार डालने होंगे। मनुष्य को विचारवान बनाने की श्रेष्ठ अवस्था बचपन है। संसार के प्रत्येक बालक को विश्व एकता एवं विश्व शांति की शिक्षा बचपन से अनिवार्य रूप से दी जानी चाहिए। किसी भी पूजा स्थल में की गई प्रार्थना को सुनने वाला परमात्मा एक ही है इसलिए एक ही छत के नीचे अब सब धर्मों की प्रार्थना होनी चाहिए। विश्व नागरिक की हैसियत से हमारा विश्व के सभी देशों के राष्ट्राध्यक्षों से अपील है कि संसार के प्रत्येक नागरिक द्वारा चुनी हुई विश्व सरकार, लोकतांत्रिक ढंग से गठित विश्व संसद (वीटो पाॅवर रहित) तथा प्रभावशाली विश्व न्यायालय जिसके निर्णय संसार के प्रत्येक व्यक्ति पर समान रूप से लागू हो! ऐसा आतंकवाद रहित तथा युद्ध रहित विश्व बनाने का समय रहते निर्णय लें।

– बी-901, आशीर्वाद, उद्यान-2, एल्डिको, रायबरेली रोड, लखनऊ-226025 मो0 9839423719

Share

Chief Editor

भाग्यवंत लक्ष्मणराव नायकुडे Chief Editor Bhagywant Laxmanrao Naykude. Akluj, Taluka Malshiras, District Solapur. Maharashtra state, India. Mo. 98 60 95 97 64

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button