
विशेष लेख…….✍️
इंटरसिटी वाले बाबा : गीताप्रेस के सबसे बड़े ब्रांड एम्बेसडर
Akluj Vaibhav News Network.
Chief Editor Bhagywant Laxman Naykude.
Akluj , Taluka Malshiras, District Solapur. Maharashtra State, India.
Mo. 9860959764.
इदौर से भोपाल सुबह साढ़े 6 बजे इंटरसिटी ट्रेन जाती है, चूंकि गांव शुजालपुर के पास है तो सबसे अधिक यात्राएं इसी ट्रेन से हुई है।
पिछले लगभग बारह वर्ष से, जबसे इस ट्रेन में बैठना शुरू किया है,तबसे एक घटना सदैव घटती है, इंदौर स्टेशन से एक बाबा, जिनकी आयु 75 वर्ष या उससे अधिक है, वे एक 15-17 किलो वजन का झोला लेकर इंटरसिटी में चढ़ते है।
इस झोले में गीताप्रैस द्वारा प्रकाशित अनेकों धार्मिक और संस्कारित करने वाली पुस्तक होती है। बाबा ट्रेन के चलने के कुछ देर बाद, एक -एक डब्बे में जातें है, किसी सीट पर सभी पुस्तकें रख देतें है, जिस यात्री को जो पुस्तक देखना है,वह आराम से देखता है। फिर बाबा एक-एक पुस्तक का परिचय कराने लगते है, धर्म का सार बताने लगते है और जब देखतें हैं कि युवा यात्री तो उनकी बात सुनने और पुस्तकों को देखने के बजाय कान में इयरफोन डालकर मोबाइल चला रहे है तो वे अचानक “फर्राटेदार अंग्रेजी” में बोलने लगते हैं, मोबाइल के अधिक उपयोग के दुष्प्रभाव बताते है, वर्तमान की समस्याओं से अवगत करातें हैं और यह सब इतना सधा हुआ होता है कि सब उन्हे सुनने लगते हैं, पुस्तकें क्रय करने लगते हैं।
ऐसा नहीं है कि यह किताबें बेचना बाबा का व्यवसाय अथवा विवशता हैं। बाबा उच्च शिक्षित हैं। 1965 में भोपाल सचिवालय में नोकरी पर रहें, पूर्व श्रम मंत्री वीरेंद्र सिंह के निजी सहायक रहें हैं। नईदुनिया जैसे प्रतिष्ठित समाचार पत्रों में कार्यरत रहें है, सिंहस्थ जैसे आयोजनों की टोलियों में रहें, आज बेटा भारतीय वायुसेना में हैं, आज घर पर वे सुख से रह सकतें हैं, किंतु फिर भी समाज में धर्म और इतिहास का ज्ञान हो, नई पीढ़ी में संस्कार पल्लवित हो,इसलिए सन 1994 में से 2023 तक निर्बाध प्रतिदिन सुबह इंटरसिटी ट्रेन से इंदौर से शुजालपुर और फिर पंचवेली ट्रेन से शुजालपुर से इंदौर गीताप्रेस का साहित्य विक्रय करतें हैं, उनकी महानता की जानकारी देते हैं और इसके लिए वे गीताप्रेस से भी किसी तरह का धन नहीं लेते और पुस्तकों को भी मूल्य से अधिक में विक्रय नहीं करतें।
गीताप्रेस इस वर्ष, अपनी स्थापना के 100 वर्ष पूरे कर रहीं है। उसे गांधी शांति पुरस्कार से सम्मानित किया जा रहा है। शायद गीताप्रेस दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक प्रकाशन है, जिसने 14 भाषाओं में 40 करोड़ से भी अधिक पुस्तकें प्रकाशित की हैं, जिसमे 15 करोड़ से अधिक तो गीताजी ही हैं, लेकिन जो प्रकाशन किसी तरह का विज्ञापन नहीं लेता, किसी जीवित की छवि नहीं लगाता हैं। जिसने अपने ब्रांड के प्रचार के लिए किसी बड़ी छवि को “हायर” नहीं किया हैं।
क्योंकि दीपेश्वर जी जैसे अनेकों भारतभक्त उनके ब्रांड एम्बेसडर हैं, जो भारत के सत्व “साहित्य” के प्रसार के अनथक श्रम कर रहें हैं, दीपेश्वर जी कहते है कि वे अभी तक एक करोड़ रुपए से अधिक का साहित्य रेलगाड़ी से बेच चुके है और देश में 14 हजार से अधिक रेलगाड़ियां हैं, मेरी तरह सेवानिवृत्त बन्धु, यदि ठान लें, तो हम देश की आने वाली पीढ़ी तक भारत का साहित्य धन पहुंचा सकेंगे, उन्हे पढ़ने के लिए प्रेरित कर सकेंगे।
आज गीताप्रेस को गांधी शांति पुरस्कार से सम्मानित करने की घोषणा हुई है, सोचा आज आपसे इस अनथक साधक की साधना को साझा किया जाए।
~अमन व्यास✍️