ओबीसी विरोधी भाजपा 2024 में हारना मंजूर है, लेकिन जाति आधारित जनगणना कराना नहीं!
ओबीसी विरोधी भाजपा 2024 में हारना मंजूर है, लेकिन जाति आधारित जनगणना कराना नहीं!
Akluj Vaibhav News Network.
Chief Editor Bhagywant Laxman Naykude.
Akluj , Taluka Malshiras, District Solapur. Maharashtra State, India.
Mo. 9860959764.
अकलूज दिनांक 30/8/2023 :
ब्राह्मणों की पार्टी भाजपा जो ओबीसी को हिन्दू बनाकर वोट तो लेना चाहती है लेकिन उन्हें देश की आधी से ज्यादा आबादी होने के कारण देश के शासन प्रशासन संसाधन में आधा से ज्यादा हिस्सा मिलना चाहिए वह कतई नहीं देना चाहती और इसीलिए राष्ट्रीय जनगणना 2021 जो अब तक हो जानी चाहिए थी नहीं करा रही है क्योंकि भाजपा जाति आधारित जनगणना कराकर ओबीसी को संख्यानुपात भागीदारी देना नहीं चाहती और ओबीसी वर्ग को जाति आधारित जनगणना और संख्यानुपात भागीदारी से कम कुछ भी मंजूर नहीं।
इसलिए भाजपा सरकार राष्ट्रीय जनगणना को ही पहले कोरोना के बहाने अब अकारण ही टालते जा रही है।
संघ- भाजपा ओबीसी को आज भी उनकी मनुवादी वर्णव्यवस्था के अनुसार शूद्र ही मानती है जिन्हें मनु विधान के अनुसार शिक्षा संपत्ति शस्त्र सम्मान का अधिकार ही नहीं है और जाति आधारित जनगणना हुई तो उनका आधिकारिक आंकड़ा उपलब्ध हो जायेगा उसके बाद देश के सत्ता संसाधनों पर सारे पावर सेंटरों पर संख्या के अनुसार आधे से ज्यादा हिस्से पर ओबीसी अपना दावा करने लगेंगे और वे लेकर रहेंगे फिर देश पर ब्राह्मण एकाधिकार का क्या होगा यही चिंता संघ-भाजपा को खाये जा रही है इसलिए वे देश की नीति निर्धारण के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण ‘राष्ट्रीय जनगणना’ ही नहीं करा रहे हैं।
उधर बिहार सरकार ने जाति आधारित सर्वे का कार्य संघियों द्वारा न्यायालयीन अड़चनें पैदा करने के बावजूद करीब करीब पूरा कर लिया है जो संघ – भाजपा के गले की हड्डी बन चुका है उनसे न निगलते बन रहा है न उगलते, समर्थन करना नहीं चाहते और विरोध करेंगे तो असली चेहरा सामने आ जायेगा।
सुप्रिम कोर्ट में केन्द्र सरकार ने बिहार कास्ट सर्वे के मामले में एक हलफनामा दिया है जिसमें कहा गया है कि जनगणना कराना केन्द्र सरकार का अधिकार है। अब सुप्रिम कोर्ट यह तो पूछेगा नहीं कि केन्द्र सरकार राष्ट्रीय जनगणना क्यों नहीं करा रही है अथवा उसे जाति आधारित जनगणना कराने में क्या परेशानी है?
वैसे अब बिहार के कास्ट सर्वे से हर राज्य सरकार पर कास्ट सर्वे कराने का दबाव बढ़ेगा देर सबेर सभी राज्य सरकारों को जाति आधारित सर्वे कराना ही होगा जिससे ओबीसी सहित सवर्णों की जनसंख्या के आंकड़े भी उपलब्ध हो जायेंगे और शिक्षा एवं शासन प्रशासन में संख्यानुपात प्रतिनिधित्व के असंतुलन को ठीक किया जा सकेगा।
आजादी से आज तक ओबीसी को खूब लूटा गया जबर्दस्त हकमारी हुई किन्तु आगे अब और लुटने को ओबीसी तैयार नहीं है।
अब नब्बे के दशक का ओबीसी नहीं है जिसे राममंदिर आंदोलन में उलझाकर उसे मंडल आंदोलन से डायवर्ट कर दिया गया था अब 2023 का ओबीसी है आज का ओबीसी अपने समतावादी महापुरुषों फुले साहू अंबेडकर पेरियार की विचारधारा से लैस होकर अपने मित्र और शत्रु को पहचानने लगा है अपने कर्तव्यों के साथ साथ अपने हक अधिकारों के प्रति भी सचेत हो चुका है वह देख रहा है कि केन्द्र की भाजपा सरकार सवर्णों के लिए तो बिना मांगे चार दिन में ईडब्ल्यूएस कानून बनाकर 10% आरक्षण दे देती है लेकिन ओबीसी की बहुत पुरानी मांग जाति आधारित जनगणना भी नहीं कराती, लेटरल इंट्री का कानून बनाकर आज तक जितने भी संयुक्त सचिव बनाए गए उनमें एक भी ओबीसी एससी एसटी वर्ग का नहीं है ,केन्द्र सरकार सरकारी कार्यालयों और विश्वविद्यालयों में ओबीसी एससी एसटी के आरक्षण को षड्यंत्र पूर्वक निरंतर निष्प्रभावी बनाने और उनकी नियुक्तियों को हर हाल में रोकने के काम में लगी है।
संघ – भाजपा को मुसलमानों से लड़ने एवं हिन्दू बनकर धर्मरक्षा के लिए तो ओबीसी एससी एसटी चाहिए लेकिन राममंदिर ट्रस्ट में सिर्फ ब्राह्मण चाहिए क्योंकि ओबीसी तो उनकी नजर में शूद्र हैं।
अब भारत में मनुवादी व्यवस्था को स्थापित करने वाले सबसे बड़े संगठित गिरोह आर एस एस और उसकी राजनीतिक विंग भाजपा का ओबीसी एससी एसटी को हिन्दू बनाकर ब्राह्मण शाही कायम रखने का सपना चकनाचूर होगा अब उनके हर षड्यंत्र का पर्दाफाश हो चुका है।
संघ- भाजपा ओबीसी विरोधी है जाति जनगणना न कराकर स्वयं भाजपा ने ही इस बात पर मुहर लगा दी है जिसका खामियाजा 2024 के आम चुनाव में उसे भुगतना ही होगा। अब भाजपा को ईवीएम भी नहीं बचा पाएगी।
चन्द्र भान पाल (बी एस एस)